Wednesday, December 3, 2008

लहू पुकारता है

खून से रंग ये मेरा सादा रंग आज चीख चीख कर कह रहा है मै हिंदुस्तान हूँ मेरा हरा रंग हरियाली नही गोलियों और बमों के धुएँ से काला हो गया है केसरिया आब बल भरना नही चुरियाँ पहनने को मजबूर कर रहा है हां मै हिंदुस्तान हूँ । मै चाहकर भी कुछ नही कर सकता मेरी बाग़ डोर एसे राजनेताओं के पास है । जो ख़ुद कमजोर है ।को राज नेता उनके स्मृति पर फूलों की माला मत चढाना ये फूलों की माला उनकी आत्मा को शूल की तरह चुभेगी बं अगर मेरे रक्षक कमजोर न होते तो आज अफजल गुरु फांसीके तख्ते पर झूल गया होता । मेरे वीर शहीद जवानों द करो ये मौत के सौदागरों से रहम की भीख मांगना इससे मुझे शर्म आती है । हाँ मै हिंदुस्तान हूँ । अब सहा नही जाता मेरे ही बच्चों के खून से रंगा शव। हाँ मै हिंदुस्तान हूँ । अब तो जागो और उन्हें उनके ही घर में घुस कर अपने हर खून का हर चीख का गिन गिन कर बदला लो ताकि मेरे सीने में लगा वीर चक्र गर्व से घूमता रहे ।

जय जवान जय हिंदुस्तान

आतंकियों की कर दो बकवास बंद

2 comments:

आकाश सिंह said...

aapki aalekh me kafi sachaai hai aap bahut achaa likhte hai koshish jari rakhen.....

राजीव करूणानिधि said...

आप अपने ब्लॉग के नामानुसार अपनी लेखनी में भी बकवास ही करते है, आप अपनी प्रतिभा का सही इस्तेमाल नहीं करते है मेरे भाई, थोडा और बेहतर सोचिये और एक शानदार लेखनी लिख डालिए, इंतज़ार रहेगा....