Tuesday, November 11, 2008

एक दर्द

एक बात जो मुझे आज भी सताती है ।

गरीबों के गरीबी को याद दिलाती है ।

दर्द भरी ऑंखें भूखे पेट दिल जलती है ।

एक बात जो मुझे आज भी सताती है ।

एक चेहरा जो मुझे आज भी आँखे दिखाती है ।

तन पे फटे कपड़े कचडे का बोझ बस यही बताती है ।

एक बात जो मुझे आज भी सताती है ।

निराशा में आशा की जोत जलाती है ।

क्यों इंसानों के पास गरीबी आती है ।

एक बात जो मुझे आज भी सताती है ।

4 comments:

दिगम्बर नासवा said...

अच्छे भावों को सुंदर तरीके से पिरोया है

अभिषेक मिश्र said...

क्यों इंसानों के पास गरीबी आती है ।
एक बात जो मुझे आज भी सताती है ।
अच्छा लिखा है आपने. स्वागत मेरे ब्लॉग पर भी.

गोविंद गोयल, श्रीगंगानगर said...

bahut hee bhavpuran, aapka kalyan ho
narayan narayan

रचना गौड़ ’भारती’ said...

आपने बहुत अच्छा लिखा है ।
भावों की अभिव्यक्ति मन को सुकुन पहुंचाती है।
लिखते रहि‌ए लिखने वालों की मंज़िल यही है ।
कविता,गज़ल और शेर के लि‌ए मेरे ब्लोग पर स्वागत है ।
मेरे द्वारा संपादित पत्रिका देखें
www.zindagilive08.blogspot.com
आर्ट के लि‌ए देखें
www.chitrasansar.blogspot.com