भाई मै सर्व शिक्षा अभियान चला रहा हूँ ।
अनाज की बोरी ढो ढो के घर ला रहा हूँ ।
बच्चे भी बहुत अधिक संख्या में आ रहे हैं ।
किताब की जगह थाली बसते में भरकर ला रहें है ।
बच्चे रोज अधिक मात्रा में आ जाते है ।
लंच तक स्कूल में रहते हें खा के घर जाते हें ।
सरकार ने बच्चे को खाने के लिए बहुत कुछ दिया ।
अच्छी चीजे घर और बचा हुआ हमने बच्चों को दिया।
आख़िर हम भी सभ्य शिक्षक जो ठहरें ।
कभी कभाल चेकिंग आ जाती है ।
चाबल की बोरी को पानी में डूबा दी जाती है।
आखिर वो भी हमारी तरह ही इन्शान है ।
नोटों पर बिकता उनका भी ईमान है ।
इसलिए तो साफ बच जाते हें ।
आखिर वो भी हमारा दिया ही खाते है ।
गरीब बच्चों की किसे है परवाह ।
थोड़ा सा चावल खाकर करेंगे वाह वाह ।